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अनुत्तर योग / भवानीप्रसाद मिश्र

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प्रार्थना का जवाब नहीं मिलता
हवा को हमारे शब्द
शायद आसमान में
हिला जाते हैं
मगर हमें उनका उत्तर नहीं मिलता

बंद नहीं करते
तो भी हम प्रार्थना
मंद नहीं करते हम
अपने प्रणिपातों की गति

धीरे धीरे
सुबह-शाम ही नहीं
प्रतिपल
प्रार्थना का भाव
हम में जागता रहे
ऐसी एक कृपा हमें मिल जाती है

खिल जाती है
शरीर की कँटीली झाड़ी
प्राण बदल जाते हैं

तब वे शब्दों का उच्चारण नहीं करते
तल्लीन कर देने वाले स्वर गाते हैं
इसलिए मैं प्रार्थना छोड़ता नहीं हूँ
उसे किसी उत्तर से जोड़ता नहीं हूँ!