Last modified on 9 अप्रैल 2014, at 11:08

मरुथल में / अज्ञेय

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:08, 9 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |अनुवादक= |संग्रह=मरुथल / अज...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वे (क्षुप) लोक भी हो सकते हैं
वे (चट्टानें) ऊँटों की क़तार भी हो सकती हैं
वह (सिहरती हवा) पानी भी हो सकती है
मैं (मृग) मरीचिका भी हो सकता हूँ।