Last modified on 21 अप्रैल 2014, at 08:32

पत्थर / गुरप्रीत

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:32, 21 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुरप्रीत |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक दिन
पूछता हूँ
नदी किनारे पड़े पत्थर से
बनना चाहोगे
किसी कलाकार के हाथों
एक कलाकृत
फिर रखा जाएगा तुझे
किसी आर्ट गैलरी में
दूर दूर से आयेगे लोग
तुझे देखने
लिखे जाएँगे
तेरे रंग रूप आकार पर लाखों लेख
पत्थर हिलता है
ना ना
मुझे पत्थर ही रहने दो
हिलता पत्थर
इतना कोमल
इतना तो मैंने कभी
फूल भी नहीं देखा