Last modified on 30 अप्रैल 2014, at 11:51

चंदामामा / शैलजा पाठक

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:51, 30 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैलजा पाठक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आओगे तो आज भी
क्या लाओगे कुछ
मुनिया
के भूखे पेट क लिए
एक बार नहीं सोचा कि
वो मुंह में जाने वाला
कौर
जो रोज उसकी माँ
तुम्हारी ओर देख कर
मुनियाँ के मुंह में डालती है
कितना खाली होता है
लगातार तुम्हारी ओर देखते
देखते मुनिया सो जाती है मीठी नींद
आओ आना है तो चंदा मामा
पर माँ के विश्वास को
कब तक झूठा ठहराओगे
कभी तो लेके आ जाओ चांदी का कटोरा
जो दूध भात से भरा हो...