Last modified on 16 मई 2014, at 16:07

दादूदयाल

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:07, 16 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दादूदयाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} <...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भाई रे! ऐसा पंथ हमारा
द्वै पख रहितपंथ गह पुरा अबरन एक अघारा
बाद बिबाद काहू सौं नाहीं मैं हूँ जग से न्यारा
समदृष्टि सूं भाई सहज में आपहिं आप बिचारा
मैं, तैं, मेरी यह गति नाहीं निरबैरी निरविकरा
काम कल्पना कदै न कीजै पूरन ब्रह्म पियारा
एहि पथि पहुंचि पार गहि दादू, सो तब सहज संभारा