Last modified on 21 मई 2014, at 22:14

अरे मेरा अमर उपावणहार रे / दादू दयाल

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:14, 21 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दादू दयाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अरे मेरा अमर उपावणहार रे।
खालिक आशिक तेरा॥टेक॥

तुमसूँ राता तुमसूँ माता।
तुमसूँ लागा रंग रे खालिक॥१॥

तुमसूँ खेला तुमसूँ मेला।
तुमसूँ प्रेम-सनेह रे खालिक॥२॥

तुमसूँ लैणा तुमसूँ दैणा।
तुमहीसूँ रत होइ रे खालिक॥३॥

खालिक मेरा आशिक तेरा।
दादू अनत न जाइ रे खालिक॥४॥