Last modified on 31 मई 2014, at 09:57

बरसगाँठि बृषभानु-कुँवरि की / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:57, 31 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 बरसगाँठि बृषभानु-कुँवारि की कीरति गीत गवा‌ए जू।
 चंदन-‌अगर लिपा‌इ अरगजा, मोतिन चौक पुरा‌ए जू॥

 नंदीसुर ते नंद जसोदा सहसुत न्यौति बुला‌ए जू।
 गोपी-गोप, गाय-गोसुत लै चलि बरसाने आ‌ए जू॥

 तब वृषभान बड़े आदर सौं निज मंदिर पधरा‌ए जू।
 भीतर भवन जसोदा-कीरति मिलत परम सुख पा‌ए जू॥

 जसुमति-कनिया तैं लालन लै कीरति गोद खिला‌ए जू।
 ब्रजरानी ल‌इ कुँवारि गोद ब्रजनारिन मंगल गा‌ए जू॥