सुशान्त सुप्रिय का जन्म 28 मार्च 1968 को पटना में हुआ तथा इनकी शिक्षा-दीक्षा अमृतसर, पंजाब तथा दिल्ली में हुई। हिन्दी में अब तक इनके दो कथा-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं:'हत्यारे' (२०१०) तथा 'हे राम' (२०१२)।मेरा पहला काव्य-संग्रह 'एक बूँद यह भी' 2014 में प्रकाशित हुआ है। अनुवाद की एक पुस्तक 'विश्व की श्रेष्ठ कहानियाँ' प्रकाशनाधीन है। इनकी सभी पुस्तकें नेशनल पब्लिशिंग हाउस, जयपुर से प्रकाशित हुई हैं।
इनकी कई कहानियाँ तथा कविताएँ पुरस्कृत तथा अंग्रेज़ी, उर्दू, असमिया, उड़िया, पंजाबी, मराठी, कन्नड़ व मलयालम में अनूदित व प्रकाशित हो चुकी हैं।पिछले बीस वर्षों में इनकी लगभग 500 रचनाएँ देश की सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
इनकी कविता "इस रूट की सभी लाइनें व्यस्त हैं" पूना वि. वि. के बी. ए. (द्वितीय वर्ष) पाठ्यक्रम में शामिल है व विद्यार्थियों को पढ़ाई जा रही है। इनकी दो कहानियाँ, "पिता के नाम" तथा "एक हिला हुआ आदमी" हिन्दी के पाठ्यक्रम के तहत कई राज्यों के स्कूलों में क्रमश: कक्षा सात और कक्षा नौ में पढ़ाई जा रही हैं। आगरा वि. वि., कुरुक्षेत्र वि.वि. तथा गुरु नानक देव वि.वि., अमृतसर के हिंदी विभागों में इनकी कहानियों पर शोधार्थियों ने शोध-कार्य किया है।
'हंस' में 2008 में प्रकाशित इनकी कहानी "मेरा जुर्म क्या है? " पर short film भी बनी है।
आकाशवाणी, दिल्ली से कई बार इनकी कविताओं और कहानियों का प्रसारण हुआ है।
पंजाबी और अंग्रेज़ी में भी लेखन-कार्य करते हैं। अंग्रेज़ी काव्य-संग्रह 'इन गाँधीज़ कंट्री' हाल ही में प्रकाशित हुआ है। इनका अंग्रेज़ी कथा-संग्रह 'द फ़िफ़्थ डायरेक्शन' प्रेस में है।
इन्होने 1994-1996 तक डी. ए. वी. कॉलेज, जालंधर में अंग्रेज़ी व्याख्याता के रूप में भी कार्य किया है।
साहित्य के अलावा इनकी रुचि संगीत, शतरंज, टेबल टेनिस और स्केचिंग में भी है।
पिछले पंद्रह वर्षों से मैं संसदीय सचिवालय में अधिकारी हूँ और दिल्ली में रहता हूँ।