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फ़ासला / कमल
अनिल जनविजय
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फ़ासला
मेरे घर से
तेरे घर तक
दो कदमों का फासला भी नहीं
पर
मेरे दिल से
तेरे दिल तक
पूरा एक मरुस्थल है।