बाँसक छाहरि
केहेन बिखाह होइत अछि
बाँस क छाहरि
केहेन बिखाह होइत अछि
बाँस छाहरि
एकोटा धास किए जनमत
बँसबिट्टीक छायातर
कोनो टा अंकुर -
कथू टा बीजक उद्मिद
किंवा गुल्मग्रंथिक पेँपी
कहिओ किए देखबा मेँ आओत
बँसबिट्टी क छायातर ...
केहेन दूरदर्शी रहथि हमर पितामह
बुद्धि छलन कते मेँ ही
आरिसँ सटाकँ कइएक ठाम
लगा गेल छथिन बँसबिट्टी
ने जानि ककर खेत काते काते
कनै छइ हकन्न, सुनैत छइ गारि - फज्झति।