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तृप्यंताम् तृप्यंताम्... / यात्री

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पुरखा लोकनि
पिबइ छला भाङ्, खाइ छला माजूम
चिबाबथि ललमुहा रोहुक तरल - झोराओल मूड़ा
मोदनिक पेटी; करिया छागरक करेजी
हमरा लोकनि आजुक प्रबुद्ध मैथिल
चढ़वइ छी नापि क’ देशी - बिदेशी
(करइ छइ गून अतत्तह जड़कालामेँ)
चाखि लइ छी कहिओ क’ गोलमेजी केबिन मध्य
कीमा - कबाव - कोफ्ता - रोगनजोश - मुर्ग मुसल्लम!
रहथि पुरखा लोकनि भाग पीड़ित
हमरा लोकनि छी अगबे योग पीड़ित
देश - कालक व्यवधान पार करथि हुनका सभ
बइसि बइसि सग्गड़ पर, घोड़ो पर, नाओ पर...
व्यापारी काफिलाक सङे सुरक्षित भए ससरथि!
हमरा लोकनि थिकहुँ रेल वल्लभ
ट्राम - टैक्सी - कार - डकोटा - स्टीमलंच...
कथूसँ अपरिचित नहि!
कल्हु आड़क आगांँ मूल्य की चनमाड़क?
चउरंगी, चउपाटी, कनाटप्लेस,
थीक मने आङन - खरिहान...
रेहल -खेहल, धाङल बिल्लकुल्ल!
कदाचित् पुरखा लोकनि देखि जँ पबितथि
अनठिआ माउगि सभक एहेन - एहेन रतुठिआ मुहठान
चल जइतनि ठामहि जान!
हमरा लोकनि: अजुका युगमानव
अपने प्रज्ञासँ स्वतः प्रणोदित
चउसल सदिखन...
जाइ छी सभठाँ, करइ छी सभकिच्छु
पसरल छथि कत’ नहि सउजनिआ?
पुरख लोकनि रहथि महात्मा
हमरा सभ छी विश्वात्मा
पलरि-पलरि भेल जाइछ अद्दश्य
शिखा - सूत्र, पांजि - पाटि, गोत्र
गबइ छथि ब्रह्मा शूद्रक महिम्न: स्त्रोत्र
चारू मुहेँ रेधाकँऽ...
दड़िभंगा - सहर्सां - पूर्णिया - भागलपुर
सभकेँ एक करत धाङि धूङि काल बलीबर्दक खूर

सिन्धी षोड़शीक मर्मवेधो अव्याहत कटाक्ष
पंजाबी बछेड़ीक लीलामय आस्फालन
कलकतिआ किशोरीक सस्मित साकूत कमलायत द्दक्पात
सुगंठित तनुभंगिमा मराठी - गुजराती तरूणीक...
द्रविड़ - केरल कन्याक मोहक नाट्यलीला...
हेरतहिं हृदय हनए पंचवाण’ दुष्ट महादुष्ट।
धराशायी भेल छथि केतेको कुलीन मिथिलानंदन...
लड़ओलनि नजरि केओ मसूरीक ‘कैमेल-बैक’ वीथी मध्य
केओ बएआ चउपाटीक बलुआही सामुद्रिक कछारमेँ
भेला केओ पराजित कनाटप्लेसक ‘गेलार्ड’ घरि पहुँचितहिँ
किनको कान पिउलक विनोद क कालकूट बीच मद्रासमेँ
भए गेलाह खाली केओ बालीगंज अबैत - अवैत
दूना क’ देलकनि ककरो मोनकेँ अहमदाबाद - पूना
बसए लगला चानन केओ जइतहि उटकमंड...

जे रहथि बड्ड पैघ साहेब - श्रीमंत राजा - महाराज बाबु - बबुआन
हुनका लेल लंडन छल प्रेमनगर, पेरिस प्रमोदवन
की रहलनि बाँकी बाजथु पजिआड़ लोकनि
कएने छथि ठाढ़ मने दंभक देबाल, भ्रांतिक भीत!
प्रबुद्ध पौत्रक आश्रयमेँ रहिकँ महानगरीमध्य
कलहा पानिसँ अहिना कएल करथु तर्पण -
तृर्त्यताम् तृर्त्यताम् ... तृर्त्यताम् तृर्त्यताम्!