प्रेम की बेड़ियाँ...
फूलों का हार,
विरह के अश्रु...
गंगा की धार ,
समझे जो वेदना... प्रिय के मन की
योग यही जीवन का... है यही सार!
प्रेम की बेड़ियाँ...
फूलों का हार,
विरह के अश्रु...
गंगा की धार ,
समझे जो वेदना... प्रिय के मन की
योग यही जीवन का... है यही सार!