Last modified on 6 अगस्त 2014, at 20:09

ददरिया / रमेशकुमार सिंह चौहान

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:09, 6 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेशकुमार सिंह चौहान |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अमुवा के डार, बांधे हवंव झूलना।
चल संगी झुलबो, बांह जोरे ना।। चल संगी झूलबो

मोर आंखी म तै, तोर आंखी म मै।
आंखी म आंखी, मिलाबो हमन ना।। चल संगी झूलबो

मोंगरा के फूल, सजाहंव बेनी तोर।
तोर रूप मनोहर, बसाहंव दिल मा ना।। चल संगी झूलबो

मया के चिन्हा, अंगरी म मुंदरी
आजाबे रे संगी, पहिराहंव तोला ना।। चल संगी झूलबो

तै मोर राधा गोई, मै किसन बिलवा
मया के बसुरी, बजा हू मै ह ना। चल संगी झूलबो

मै तोर लोरिक गोई, तै मोर बर चंदा।
जान के बाजी, मै हर लगा दूहू ना।। चल संगी झूलबो

आनी बानी के सपना, संजोहव आंखी म।
बिहा के तोला, ले जाहू अपन अंगना। चल संगी झूलबो