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काजर आंजत मुंह सजावत / रमेशकुमार सिंह चौहान

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काजर आंजत मुंह सजावत देख लजावत दर्पण छोरी।
केस सजावत फूल लगावत खुद ल देखत भावत छोरी।
आवत जावत रेंगत कूदत नाचत गावत देखत गोरी।
काबर मुंह बनावत मुंह लुकावत हे जिबरावत गोरी।