Last modified on 17 अगस्त 2014, at 23:57

बदलना / मनीषा जैन

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:57, 17 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनीषा जैन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कई सालों बाद
जब वह आता है
शहर से गांव
नौकरी से वापस
वह बदल जाता है
इतना
सर्दी में जमें घी
जितना।