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प्रोफेसर / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

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1
हम प्रोफेसर छी प्रोफेसर।
सम्बोधन हमरा लै अछि ‘‘सर’’॥
‘लड़का’ सँ लै बड़का केँ हम,
कड़का दी तँ साधथि सब दम।
छथि भावी युगक युवकगण सब
सै, दू सै हमरे पर निर्भर॥
हम प्रोफेसर॥
2
‘बी0 ए0’ धरि कैलहुँ पास जखन
बीओ उपाड़ि नहीं भेल तखन।
‘एम0ए0’ धरि पढ़ने अह मे छी,
अछि जीवन आब हमर सुन्दर॥
हम प्रोफेसर॥
3
हम सभा बीच झाड़ी चेक्चर,
जनता केँ कहिअइ खूब कचर।
तकनहुँ दुनिया मे नहिं भेटत,
हमरा सब सँ बेसी चरफर॥
हम प्रोफेसर॥
4
कसिकै मेहनति दू मास करी,
तँ मूर्खताक चड़ि नाश करी।
कलिकलि, वा हौइटि केँ जहिना
जड़ि सँ निर्मूल करै ‘‘सलफर’’॥
हम प्रोफेसर॥
5
धरती सँ ऊपर सात हाथ-
पर रहै राति दिन हमर माथ
नहि पढ़ी, मुदा फँाकी धरि दी
तइओ न करथि क्यौ ससर फसर॥