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कन्ट्रोल / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

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अछि कंट्रोल जगत गरमायल
लीडर सब लोभेँ भरमायल
कमल फुला गेल हुपहर राति
बेटा कृत्येँ बाप अजाति
देखितहि सूर्य कमल सकुचायल
ठह ठह दुपहर भेंट फुलायल
खिच्चड़ि खा’ खा’ फूलल पेट
अपन वस्तु जे क्यौ दोबड़ौलक
वीच बाट पर जे गोबरौलक
से टोपक बहु धैने माथ
अपना केँ बुझि रहल सनाथ
कते’ कठिनतेँ भेटल सोराज
घुरि अाियल घर विलटल ताज
रखबा लै तँ चाही लूरि
तकरे बिनु अछि सबटा दूरि
मूँह बाबि कै ऐल अकाल
खीचि रहल अछि पीठक खाल
एहि अकाल मे लोक न बाँचत
भुखले पेटें नङटे नाचत
असल बात पर जौं दी ध्यान
तँ दोषी नहि बनते आन
सभक मूल उजरा अङरेज
तकरा सँ राखू परहेज
बनल अखाढ़ा अछि विकराल
सब क्यौ ठोकि रहल अछि टाल
तेहन उठल अछि आइ तरंग
जे जीतत से हैत चितंग
हँसत सैह जे खायत मारि
से बिड़त जे लेत सम्हारि
टाङ उठा, आ टेकि कपार
गंगा बहती उनटे धार