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समय / रश्मि रेखा

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एक समय वह होता है जो घड़ी बताती है
दूसरा वह जिसे शब्दों में पकड़ लेते है
इस दुनिया के कुछ ख़ास कवि
स्थिर हो जाता है वह समय इतिहास के बहाव में
घड़ी की टिक-टिक की तरह धड़कता है लगातार
हमारी धमनियों के रक्त में
पीढ़ी-दर-पीढ़ी

इनसे अलग एक समय वह भी है
जो हमारे सपनों में शामिल होता है
जिसके आग़ोश में रहता है सारा जीवन
हमारी स्मृतियों में भी बचा रहता है वह समय
एक नमी,एक तिनका,एक शाम की उदासी
एक पगडंडी,एक कुलाँचे भरते हिरन की तरह
स्मृतियों के आकाश में पर फ़ैलाये उड़ते है
सपनों के परिंदे सारी उम्र

आज जब सूचनाओं को बदला जा रहा है
हमारी स्मृतियों में
शब्दों के घोंसले में दुबक रहे है सपने
इक्छाऍ अपनी जगह तलाश रही हैं
अफरा-तफ़री के इस माहौल में
बड़ी मुश्किल से सुनाई देती है
समय की फुसफुसाहट
वे कुछ जो देख पा रहे है फिर भी
समय के आईने में उसका चेहरा
वे हैरान-परेशान है इस ख़बर से
कि सपने और स्मृतियाँ भी
खरीद-फ़रोख्त की वस्तुयें हैं
 और ज़ज्बात बाजार की सबसे पसंदीदा चींज