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कलम / रश्मि रेखा

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मेरी कलम मिल गई है
एक लम्बे अर्से बाद
 मेरे पास वापस लौट रही है
मेरी लिखावट
मेरे अक्षर
मेरे शब्द और
मेरी वो अपनी दुनिया
बदल रही है मेरी भाषा

कलम तुम सुख में साथ होती हो
उड़ान भरते पंखों की तरह
दुःख में भी सँभालती हो तुम
सँभालती हैं माँ जैसे छोटे बच्चें को
शब्द
कलम
और मैं
इससे इतर भी गहरा रिश्ता है कहीं

शब्दों के जंगल में उगी हुई शाख मैं
अकेली नहीं हूँ
साथ हो तुम परछाईं की