तुम्हारे स्नेह की रोशनाई ने
भर दिए मेरी कलम में अशेष शब्द
जिसे तुम्हीं ने दिया था कभी
बनाए रखने को अपना वजूद
तुम्हारे नाम का एक-एक अक्षर
बोने लगा राग-बीज
बदलने लगे जीने के अर्थ
समय पर अंकित होने लगा इंतजार
अच्छी लगने लगीं
किताबों की बातें
बेमतलब की बातें
दुनिया-जहान की
आत्मा में गहरे उतर आया
मेरे नाम में निहित तुम्हारा नाम