सवाल यह है
तुम किस चीज़ से
बचाना चाहोगे दुनिया को
हथियार से,
बाज़ार से,
या प्यार से
हथियार अगर तुम्हारी ज़रूरत है
तो तुम दुनिया नहीं
ख़ुद को बचाना चाहते हो
अगर तुम बच गए
तो समझो तुम एक जंगल के बीच हो
जहाँ कटे पेड़ों के नीचे
दबे परिंदों की आँखों में
एक ख़़ूबसूरत सपना है
तुम चाहते हो
उसे घर ले आया जाए
लेकिन जैसे ही छूते हो तुम
वह टूट जाता है
तुम अगर बाज़ार को चुनते हो
तो निश्चित ही जहाँ तुम दाँव फेंकोगे
तुम्हें अपने ख़रीदे प्रतिरूप दिखाई देंगे
यह दुनिया कमोडिटी की तरह होगी
जहाँ तुम तय करोगे भाव
और उसके उतार-चढ़ाव
तुम्हारी जीत-ही-जीत होगी
लेकिन जैसे ही तुम सोचोगे
अपनी हार के बारे में
मारे जाओगे
तुम अगर प्रेम के साथ हो
तो कहना मुश्क़िल है
तुम उदास नहीं होओगे
बल्कि हर अवसर पर घेरा जाएगा तुम्हें
कई दीवारों के भीतर चुने जाते हुए
जब तुम मुस्कराते मिलोगे
बरसों बाद भी
लोग निराश नहीं होंगे
जैसे ही तुम बिखर जाओगे
दुनिया के हर दुख में