Last modified on 29 दिसम्बर 2014, at 14:11

हो झालौ दे छे रसिया नागर पनाँ / बिहारी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:11, 29 दिसम्बर 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हो झालौ दे छे रसिया नागर पनाँ।
साराँ देखे लाज मराँ छाँ आवाँ किण जतनाँ॥
छैल अनोखो कह्यो न मानै लोभी रूप सनाँ।
रसिक बिहारी नणद बुरी छै हो लाग्यो म्हारो मनाँ॥