Last modified on 28 जनवरी 2015, at 13:25

हमारो दिल तुमसे नाराज महाराज / बुन्देली

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:25, 28 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=बुन्देल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हमारो दिल तुमसे नाराज महाराज।
ठांड़े बाग में कलियां तुड़ावें,
हमें क्या मालिन बनाई महाराज। हमारो...
ठांड़े कुंअला में झाड़ी भरावें,
हमें क्या कहारिन बनाई महाराज। हमारो...
ठांड़े ताल पे कपड़ा धुलावे,
हमें क्या धोबिन बनायी महाराज। हमारो...
ठांड़े रसोई में खाना बनवायें,
हमें महराजिन बनाई महराज। हमारो...