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कारै पिअर घुनघुनवा / बघेली

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बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कारै पिअर घुनघुनवा तौ हटिया बिकायं आये
हटिया बिकाय आये हो
साहेब हमही घुनघुनवा कै साधि
घुनघुनवा हम लैबे-घुनघुनवा हम लेबई हो
नहि तुम्हरे भइया भतिजवा
न कोरवा बलकवा-न कोरवा बलकवउ हो
घुनघुनवा किन खेलइं हो
हंकरउ नगर केर पंडित हंकरि वेगि लावा
हंकरि वेगि लायउ हो
पंडित ऐसेन सुदिन बनावा नेहर चली जाबई हो
नैहर चली जाबई हो
हंकरहु नगर केर कहरा-हंकरि वेगि आवा
हंकर वेगि लावहु हो
रामा चन्दन डड़िया सजावा नैहर पहुंचावा
नेहरि पहुंचावहु हो
जातइ माया का मेटबै बैठतइ ओरहन देबई
बैठतइ आरहन देबई हो
माया तिरिया जनम काहे दीन्ह्या ब
बझिन कहवाया-बझिनि कहवायउ हो
जातइ काकी का मेटबई बैठतइ ओरहन देबई
बैठतइ ओरहन देबई हो
काकी धेरिया जनम काहे दीन्ह्या
बझिनि कहवाया बझिनि कहवायउ हो
जातइ भौजी का भटबै बैठतइ ओरहन देबई
बैठतइ ओरहन देबई हो
ऐसेन ननंदी जो पाया बझिन कहवाया
बझिनि कहवायउ हो।
बेटी तुहिनि मोर बेटी तुहिनि मोर सब कुछ हो
बेटी थर भर लेहु तुम मोतिया उपर धरा नरियर
उपर धरौ नरियर हो
बेटी उतै का सुरिज मनावा
सुरिज पूत देइहैं सुरिज पूत देइहै हो
होत विहान पही फाटत लालन भेहंइ होरिल में हइं हो
आवा बजई लागीं अनंद बघइया गवैं सखि सोहर
गवैं सखि सोहर हो
हंकरहु नगर केर सोनरा हंकरि वेगि लावा
हंकरि वेगि लावहु हो
सोनरा सोने रूपे गढ़ा घुनघुनवा तो धना का मनाय लई
धना का मनाय लई हो
हंकरहु नगर केरि कहरा हंकरि वेगि आवा
हंकरि वेगि लावउ हो
कहरा चन्दन डड़िया सजावां
तो धना का मनाई लई-धना का मनाई लई हो
एक बन गै हैं दुसर बन तिसरे ब्रिन्दाबन

तिसरे ब्रिन्दाबन हो
रामा पैठि परे गजओबरी तौ धना का मनाबै
तौ धना का मनावई हो
धनिया तुहिनि मोर धनिया तुहिनि मोर सब कुछ हो
धनिया छाड़ि देहु मन का विरोग घुनघुनवा तुम खेलहु
घुनघुनवा तुम खेलहु हो
नहि मारे भइया भतिजवा नहि कोरवा बलकवा घुनघुनवा किन खेलई
घुनघुनवा किन खेलई हो
घुनघुनवा तो खेलई तुम्हारी माया बहिनिउ तुम्हारिउ हो
रामा और तौ खेलई परोसिन जउन भिरूवाइसि हो
जउन भिरूवाइसि हो