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काची करड़ नी गमरण बावड़ी / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काची करड़ नी गमरण बावड़ी
लोंगा जड़ियो रे जड़ाव
तांबा पीतला ना गमरण बेड़ला
रेसम लाम्बी डोर
बेड़लो मेल्यो रे सखर पाळ
चूमकी चम्पा डाळ
डोर टूटी ने गडूलियो डूबियो
पाणी गयो रे पैताळ
काठा कसी लो गमरण कांछड़ा
लीजो पीपरिया नी वाट
घर जाता हो गमरण माता ने के
माता म्हारो माथो दूखे
ससराजी आणें आविया
माता म्हारो तो माथो दूखे
जेठजी आणे आविया
माता म्हारो तो माथो दूखे
देवरजी आणे आविया
माता म्हारो तो माथो दूखे
पीयूजी आणे आविया
घर जा ने बेटी
माता म्हारो माथो हो गूथो
पाटी पड़ाव
पियूजी आणे आविया