बै कैवण में सग्गा तो अवस कहिजै पण जाबक ई नीं समझै सग्गै तो संकट !
छुछक, भात, ओढावणी अर दायजो लेंवती बेळा कदै ई नीं सोचै कै सग्गो कळीज तो नीं गयो करज रै कादै ! </poem>
बै कैवण में सग्गा तो अवस कहिजै पण जाबक ई नीं समझै सग्गै तो संकट !
छुछक, भात, ओढावणी अर दायजो लेंवती बेळा कदै ई नीं सोचै कै सग्गो कळीज तो नीं गयो करज रै कादै ! </poem>