Last modified on 5 मई 2015, at 13:27

विदेशी वस्त्र / त्रिभुवन नाथ आज़ाद ‘सैनिक’

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:27, 5 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिभुवन नाथ आज़ाद ‘सैनिक’ |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सितमगर की हस्ती मिटानी पड़ेगी,
हमें अपनी करके दिखानी पड़ेगी।

कभी उफ़ न लाएंगे अपनी जुबां पर,
मुसीबत सभी कुछ उठानी पड़ेगी।

बहुत हो चुका, अब सहें हम कहां तक,
ये बेईमानी सारी हटानी पड़ेगी।

विदेशी वसन और नशे की जिनिस पर,
हमें अब पिकेटिंग करानी पड़ेगी।

नमक को बनाकर और कर बंद करके,
आज़ादी की झंडी उड़ानी पड़ेगी।

करेंगे हम आज़ाद भारत को अपने,
विदेशी हुकूमत मिटानी पड़ेगी।