Last modified on 14 मई 2015, at 23:31

अद्वैत / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:31, 14 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र झा ‘सुमन’ |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तक्षशिला नगरी मे ‘नग्गज’ रजा कहिओ
ज्वरपीड़ित उर दाह उठल, सकला नहि सहि ओ
हृदय लेप हित चानन घसबा लय सब ललना
जुटलि, सङहि आङन भरि झनकल कंचन-कङना
सहि न सकथि नृप शब्द, सोचि सभ बलया भाङल
केवल सधबा चिह्न एक चूड़ी टा बाँचल
छनहिं शब्द पुनि शान्त, स्वस्थ नृप मन मे जानल
द्वन्द्व रहित चित रहय शान्त, मत अद्वय मानल