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जाति जाती / असंग घोष

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ओ जाति!
तू जाती क्या
बेड़ियाँ तोड़
बन्धन मुक्त कर
तू जाती क्या
ओ जाति!
मत बहरी बन
अबे ओ जाति
तू जाती क्या
बामन के घर
उसकी मेहरारू से पूछने
तेरा जनेऊ हुआ क्या?