Last modified on 5 अगस्त 2015, at 11:16

शयनकक्षक नारीसँ / राजकमल चौधरी

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:16, 5 अगस्त 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजकमल चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हे मेनका,
अहाँक इन्द्रधनु आँचर पर अंकित करय वासनाचित्र
प्रस्तुत छथि नइँ आइ केओ विश्वामित्र
ने कोनो महाराज दुष्यन्त
कए सकताह अहाँक शकुन्तलाक असहायताक अन्त
खेत तमबामे, बान्ह बन्हबामे लागल अछि लोक
चारूकात पसरल अछि हृदयक नइँ, पेटक बहु शोक

हे उर्व्वशी,
के देखत आब आदिमुद्राक चकित मुदित अलस नाच
अभाव-चूल्हि जरइए, ,लोक लगबइए प्राण-जारनि आँच
सम्राट विक्रम-पुरूरवादि भए गेलाह दरिद्र
सामन्ती-जीवन केथरीमे भेल अछि लक्ष लक्ष छिद्र
आ, हम सभ अर्जुन, महाभारत जितबामे लागल छी
मरल नइँ, सूतल नइँ, जागल छी

हे रम्भा,
जरल नन्दन, अपने व्रजसँ इन्द्र आत्महत्या कएलनि
अहूँ स्वर्ग छोड़ि भागू, देवगण धरतीमार्ग धएलनि
विलास-नृत्य तेआगि दिअ, परतीमे रोपू धान
तखनइँ बाँचल जीवन, तखनइँ ऐ कल्यान