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प्रान-चिड़ै / राजकमल चौधरी

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सेमलक सुखायल डारिपर
बैसल चिड़ै
हमर प्रान कहिया उड़ि जायत
आ कहिया धरि
बाधित प्रेत जकाँ एहि जंगलमे
अन्हारमे औनाइत
के जानय...
के जानय, आरो चारि दिवस
भेटय नेहक लेल
के जानय, पायब, नव सिंगार
एहि पाकल देहक लेल...
कोनो भरोस नहि
कथूक होस नहि

(वैदेही: जून, 1971)