Last modified on 16 सितम्बर 2015, at 16:19

जागो और जगाओ / अब्दुल रहमान सागरी

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:19, 16 सितम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अब्दुल रहमान सागरी |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जागो और जगाओ!
बीत चुकीं आलस की घड़ियाँ,
जाग उठीं अब सारी चिड़ियाँ!
जागे फूल खिली अब कलियाँ!

तुम भी जागो आओ,
जागो और जगाओ!

जाग रहा है कोना कोना
फिर अपना यह कैसा सोना!
क्या सोकर है सब कुछ खोना!

उठो होश में आओ!
जागो और जगाओ!

जागे तुर्क, उठे जापानी,
सँभल चुके हैं अब ईरानी!
तुमको है कैसी हैरानी!

आगे कदम बढ़ाओ!
जागो और जगाओ!