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सोनमा / नारायण झा

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हेंज आगू-आगू
पाछू-पाछू सोनमा
रमकैत जाइत
बकरीक हेंज संग
सोनमाक हाथ पतरकी छौंकी
बकरी रबड़ल घास दिस
सोनमा दोगैत अपन
देखायल-थोपायल कर्म दिस।

ओ अवस्था सोनमाक
ओहि कर्म लेल नहि
अछि सिलेट-पेंसिल पकड़बाक
मुदा कपार पर
उघने भारक मोटरी सोनमा
भोर सँ साँझ धरि
खुटेसने अछि।

सोनमाक माय
भँ गेल छलीह पूर्वे विधवा
आशाक दीप छलैक मात्र सोनमा
तेँ सोनमाक माय
पेटक कहकह आगि पर
पानि छिटबाक लेल कीनि देने रहैक
आठ-दसटा बकरी
ओ बकरी एखनहुँ
गरीबक गाय होइछ
सोनमा केँ एखन
कनेको चिंता नहि पढ़ै-लिखैक
नहि चिंता औढ़ मारैत छलैक भविष्यक
ओकर माय सेहो मूर्खे।

की एहिना सोनमाक दिन रहतै पहाड़
की एहिना रहतैक
सोनमा मूर्ख-चपाट
होटल, रेलवे स्टेशन पर मात्र
होइत छैक बाल मजदूरक छापा
एहेन तँ सभतरि
कतेक सोनमा
छैक एखनहुँ समाज मे।