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जिसे इश्क़ का तीरे कारी लगे ।

उसे ज़िंदगी क्यों न भारी लगे ।।


वली जब कहे तू अगर यक वचन,

रक़ीबाँ के दिल पे कटारी लगे ।


न होगा उस जग में हरगिज़ क़रार,

जिसे इश्क़ की बेकरारी लगे ।