आदमी को
काटता है
जब
आदमी
तब
लहू नहीं
हैवानियत बहती है,
जात का नकाब ओढ़े
धर्म अट्टहास करता है
और
इन्सानियत
बेमौत मारी जाती है।
आदमी को
काटता है
जब
आदमी
तब
लहू नहीं
हैवानियत बहती है,
जात का नकाब ओढ़े
धर्म अट्टहास करता है
और
इन्सानियत
बेमौत मारी जाती है।