Last modified on 16 अक्टूबर 2015, at 03:08

खा जाओ दीमको! / असंगघोष

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:08, 16 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असंगघोष |अनुवादक= |संग्रह=हम गवाह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दीमको!
चाट क्यों नहीं जातीं
मनुस्मृति
पचा क्यों नहीं जातीं
अन्याय की प्रतीक
रामायण
खा क्यों नहीं जातीं
वेद-पुराण
क्यों नहीं
छेद देतीं तुम
उनकी खोपड़ी
जहाँ सिर्फ
और सिर्फ
कुटिलता भरी पड़ी है।