Last modified on 27 अक्टूबर 2015, at 01:55

तुम्हारी याद / श्यामनन्दन किशोर

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:55, 27 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्यामनन्दन किशोर |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब याद तुम्हारी आती है,

वेदना तार पर अन्तर के प्रिय मधुर, करुण कुछ गाती है!

आँखों में तब लहरी चंचल
उठती प्रतिपल, गिरती प्रतिपल!
बस मैं दोनों की सुन्दरता
चुप-चुप देखा करता केवल!

प्रतिदिन रे मेरी सिसक-सिसक बुलबुल पगली सो जाती है!

जाता कर हृदय शून्य, दृगभर
मेरे इस जीवन का जलना!
है चाह रहा शीतल होना
प्रिय आँसू का त्योहार मना!

उस पार क्षितिज से जीवन के रह-रह ध्वनि मधुर सुनाती है!

(24.4.49)