♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
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रे लँगुरिया कमरा में भारी डाकौ पर गयौ॥ टेक
कोई पर गयौ आधी रात॥ लँगुरिया
मेरे ससुर गये देवी परसन कू,
चाहे सास भलेई लुटि जाय॥ लँगुरिया
मेरे जेठ गये देवी जात कूँ,
चाहे जिठानी भलेई लुटि जाय॥ लँगुरिया
मेरे देवर गये देवी जात कूँ,
चाहे दौरानी भलेई लुटि जाय॥ लँगुरिया
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(ऐसे ही नाम लेते जाते हैं।)