Last modified on 28 नवम्बर 2015, at 21:18

कीड़ी नगरौ / संजय पुरोहित

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:18, 28 नवम्बर 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जमारो
कीं कम नी कीं बेसी नीं
एक कीड़ी नगरै सूं
बै
कीड़ी नगरौ
सींच रैया है
जिका
काल तांई
मचाय राखी ही
नगरी मांय
अत्याचार री घमसाण
काट रैया हा
फसल बंदूकां री
लड़वाय रैया हा
म्हासूं
म्हनै ही
घिरणा री गैंची सूं
कर रैया हा
एके री नाव मांय खाडा
चिणवाय रैया हा
हराम रा म्हैल माळिया
छक रैया हा
रगत दारू
नाच रैया हा
म्हारै नेह रे टापरै
उंडेळता घिरणा रो मट्ठौ
बै
आज सींच रैया है
कीड़ी नगरो
बाणी समझदारी नै
लखदाद
बै जाणै है
अजकाळै नीं तो कीं सोचे
कीड़ी
नी बिचारै मिनख
दोनूं है समान
दोनूं नै टैम टैम माथै
जरूरी है
सींचणौ