Last modified on 8 दिसम्बर 2015, at 00:27

बदली / रंजना जायसवाल

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:27, 8 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बदली
दूर रहकर भी
जान जाती है
धरती की प्यास
और आकाश के अनुशासन को
तोड़कर बरस पड़ती है
जैसे दुधमुँहे बच्चे की
माँ के स्तनों से
टपकने लगता है दूध
बच्चे की भूख के समय...।