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जब मैं खुश हुआ / हेमन्त कुकरेती

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जब मैं ख़ुश हुआ
मैंने सूरज को
दिनभर की कै़द से
आज़ाद कर दिया

सप्तर्षियों का मुँह तकती
हिरनियों को
मैंने बता दिया
कस्तूरी का पता

चाँद पर ऊँघती बुढ़िया को
मैंने गिनकर दीं
पूरी इकतीस पृथ्वियाँ

प्यासी सीप में
मैंने चुआया अपनी तर्जनी का
एक बूँद खून

मैंने बादल का चेहरा चूमा
और आकाश पर लिखा एक नाम
डूबने से डरे बगै़र
बारिश में तैरायी यादों की नाव

अपनी खाल से बुना
मैंने रातरानी के लिए स्वेटर
नाखूनों की सुई बनाकर
ओस के लिए गठे एक जोड़ी जूते

मैं जब ख़ुश हुआ
मैंने टटोले आँसुओं के सिक्के

मैं हँसा कि
गिरी नहीं उनकी क़ीमत!