Last modified on 30 जनवरी 2016, at 15:21

फागुन और फाग / प्रेमघन

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:21, 30 जनवरी 2016 का अवतरण

फागुन तौ बालक विनोद हित अहै उजागर।
ज्यों ज्यों होली निकट होत अधिकात अधिक तर॥
सजत पिच्चुका अरु पिचकारी तथा रचत रंग।
नर नारिन पैं ताहि चलावत बालक गन संग॥
गावत और बजावत बीतत समय सबै तब।
भाँति भाँति के स्वाँग बनावत मिलि बालक सब॥
हँसी दिल्लगी गाली रंग गुलाल उड़त भल।
देवर भौजाइन के मध्य सहित बहु छल बल॥