Last modified on 2 फ़रवरी 2016, at 12:37

मछरि मराव / प्रेमघन

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:37, 2 फ़रवरी 2016 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नीच जाति के बालक खेतन मैं पहरा धरि।
मारत मछरी सहरी अरु सौरी गगरिन भरि॥
युव जन छीका और जाल लीने दल के दल।
मत्स मारिबे चलत नदी तट अति गति चंचल॥
पौला सब के पगन सीस घोघी कै छतरी।
लेकर लाठी चलैं मेंड़ बाटैं सब पतरी॥