Last modified on 12 फ़रवरी 2016, at 12:23

शाप / निदा नवाज़

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:23, 12 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निदा नवाज़ |अनुवादक= |संग्रह=अक्ष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(शहीद मशीर-उल-हक और पाश के हर बच्चे के नाम)

मत रो, मुन्ने
तुम्हारे पिता-का सा पाप
मैंने भी किया
और समय का शाप
मैं भी झेलूँगा
तुम कल
मेरे बच्चों के संग
जी भर कर रोना.