Last modified on 12 फ़रवरी 2016, at 13:12

कवि / निदा नवाज़

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:12, 12 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निदा नवाज़ |अनुवादक= |संग्रह=बर्फ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पीड़ाओं की तीव्रता को
बेबस लम्हों की नोक पर
आंकना

अनिंद्रा - नाव को
रात के मंझधार में से
करवटों के चप्पू के सहारे
निकालना

घटनाओं की
सूखी कंटीली झाड़ी का
अपनी आत्मा के
नर्म ऊन में से
गुज़रते देखना

लोगों के हजूम में भी
ईश्वर भर
तन्हा हो जाना

भीतर ही भीतर
सौ बार जलना
सौ बार बुझना

अपने मस्तिष्क के कैनवास पर
अपने ही रक्त रंग से
एक विचित्र सृष्टि को रचना

और आकाश में उड़ने की प्रवृत्ति
मन में लिए
एक परकटे परिंदे की
फड़फड़ाहट को
अपने भीतर महसूस करना

एक कवि बन जाना
होता है.