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दीवारें / रति सक्सेना

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तुम आए
एक दीवार बन
तमाम खतरों का
सामना करने के लिये

धूप चमकी
मैं घिर गई दीवारों से

तुम उड़ गये कभी के
भाप बन

खतरे दीवारों के भीतर आ गये