भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दीवारें / रति सक्सेना

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

तुम आए
एक दीवार बन
तमाम खतरों का
सामना करने के लिये

धूप चमकी
मैं घिर गई दीवारों से

तुम उड़ गये कभी के
भाप बन

खतरे दीवारों के भीतर आ गये