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कपचन / कुंदन अमिताभ

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कपचन बनै सें
बचै के भरसक
कोशिश करै छियै
तभियो कपचन
बनी जाय छियै
जखनी-तखनी लोगें
आपनऽ-आपनऽ
हिसाबऽ सें
कपची-कपची केॅ
कपचन बनाय लै छै
सौंसे देखना
कम्मै केॅ
बर्दाश्त होय छै।