Last modified on 1 जून 2016, at 22:49

साग तोड़ैल’ / परमानंद ‘प्रेमी’

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:49, 1 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परमानंद ‘प्रेमी’ |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चलें गे बहिनों साग तोड़ैल’ बेहरबा।

झुकी-झुकी खेतबां में साग टूसी तड़बै।
मुठी-मुठी भरी-भरी खोंयछऽ पुरँवै॥
खोंयछऽ पुराय बहिन ऐबऽ आपनों घरबा।
चलें गे बहिनों साग तोड़ैल’ बैहरबा॥

महीन-महीन हँसुवा सें सागऽ क’ कतरबऽ।
नोंन रसून तेल दैदलसग्गा बनैबऽ।
साग-भात आगु दै मनैबऽ रूसलऽ पियबा।
चलें गे बहिनों साग तोड़ैल’ बैहरबा॥

सगबा तोड़ला सें गछबा चतरैतै।
हरा-भरा खेत देखी किसान मुसकैतै॥
भरी गाछ फूल देखी ‘प्रेमी’ गाबै गीतबा।
चलें गे बहिनों साग तोड़ैल’ बैहरबा॥