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कहिया दिन घुरतै ऊ घाँटो-घँटेसर रोॅ? / अमरेन्द्र

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सुखलोॅ जाय आसोॅ में कमलोॅ फूल पोखरी मेँ
बदला अठोंगर के बेंगे छै ओखरी मेँ
आँखी सेँ लोर गिरै बाबा बटेसर रोॅ।

धुरदा लोटावै छै सिरमोर-पटवासी
निट्ठा दुपहरिया मेँ कानै छै पचरासी
जरलोॅ जाय आगिन मेँ बस्तये केसर रोॅ।

काँटोॅ-कटैया सब कुइयाँ मेँ हुलसै छै
रौदी सेँ माँटी पर दुबड़ी सब झुलसै छै
केना केॅ कहियै ई दोष छेकै इस्सर रोॅ।

जैठां कि घोॅर बसै चुगला रोॅ ठामे-ठाम
बूलै बिन टोक-टाक चूहड़ छै गामे-गाम
की बचतै लाज वहाँ हुँसुली-नकबेसर रोॅ।